बिजली बिल और मीटर

 एक बात कहें, 'हर घर विद्युत योजना' कमाल की स्कीम है साहेब, साब जी मुफ्त का देश भर में कनेक्शन बाट चुके हैं। ज्यादा दिक्कत तो नहीं, लेकिन उ जो लगाने वाला आया था न 2000 रुपय्या लिया। मीटर लगाकर चला गया,हर महीने आता है एक रसीद थमा कर चला जाता है, जब रसीद पर ध्यान किया तो मालूम चला कि ई तो बहुते बड़ा धोखा किया जा रहा है। हर महीने 135 रुपये ऐसे ही ले लिया जाता है यानी एक साल का 1620 रुपये और 5 पांच वर्ष का 8100 रुपये गया। खैर इस महीने मीटर वाले भईया आये थे,कह गये कि अगले   महीने से 180 रुपये चार्ज किया जाएगा,मतलब एक वर्ष में 2160 रुपये और पांच वर्ष का 10800 रुपये।और आप जितना use करेंगे उसका अलग लगता रहेगा।


 उत्तर प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली आये या न आये,दो से अधिक दिनों तक  गुल है, कोई जवाब देने वाला भी नहीं, कब बनेगा नहीं मालूम; मैसेज तो दूर की बात है साहेब। toll-free नम्बर पे बात किया गया तो मालूम चला कि गांव में 18 घंटे बिजली रहने का वायदा किया गया है। अपने देश की अधिकांश गिद्ध मीडिया कभी चीन की सैर करता है या पाकिस्तान पर बम गिराता नजर आता है, आभासी (Virtual) मण्डल का खेल प्राइम टाइम पर खेला जाता है, आप  YouTubeपर उनके चैनल का  Tag Line पढ़िये...प्राइम टाइम में क्या दिखा कर जनता को मूर्ख बनाया जाता है, ये आप खुद ही समझ लीजिए। खैर...छोड़िये न!

गांव में कई ऐसे घर हैं जो दिहाड़ी पर काम करते हैं, अब वो बिजली का बिल जमा करें या घर का खर्चा चलाये। साहेब उनके घर भी किसी की शादी होती होगी,कोई बीमार होता होगा; यदि आप सवाल करते हैं कि क्या जरूरत है बिजली इस्तेमाल करने की। साहेब डिजिटल युग में मोबाइल use करना कइसे छोड़ दें; खैर छोड़िये न! किसे फर्क पड़ता है।

इनसे तो ठीक बैंक वाले हैं जो मैसेज का पहले 15.30 पैसे चार्ज वसूलते थे अब 17.40 पैसे,लेकिन जानकारी दे देते हैं।  जनधन खाता को छोड़कर, 1000 रुपये से कम होने पर पइसा काट लेते हैं।

समाज के कई मुद्दों पर अक्सर लोग सवाल करने से कतराने लगे हैं,कि छोड़िये न हम अकेले का कर लेंगे। हां एक काम मे तरक्की  जरूर हुई है और वो है, हिन्दू-मुस्लिम का आपस में लड़वाना देना, नेताओं की बिगड़ैल बोल,पर हां इनमें भी कुछ समझदार लोग हैं जिनकी वजह से आपस में मोहब्बत कायम है। एक बात हमेशा की तरह गाँठ बांध लीजिए कि अगर मुसीबत आप पर कभी आती है तो आपका पड़ोसी ही साथ देता है। अगर ज्यादा दिक्कत है तो अपने-अपने धर्म की पुस्तक का मतलब पढ़ लीजिये,कि धर्म हमसे क्या कहता है। पर इसके लिये वक़्त कहाँ...

अंत में बस इतना ही कहना है कि अगर मीटर चार्ज के फिक्स प्लान के खिलाफ आवाज उठा सकते हैं तो उठाइये...क्या पता हज़ारों लोगों में से किसी की दुआएं लग जाये।

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