आज़ाद नज़्म

तुम समंदर भी ना बने एक दरिया भी ना बने
 किसी के राज की हमराज भी न बनें
तुम किसी सहरा के पौधे भी न बने,
फिर क्या बने,अच्छे इंसान भी न बने
राज अफशां करने वाले मुखबिर जो बने,
तुम मोहब्बत की मिनार भी न बने

Comments