तलाक़
नामा
मैं           पुत्र अहमद निवासी-  थाना-,
का
हूं।
मेरी शादी पुत्री ,हाल मुकाम ,थाना-कैंट के साथ मुस्लिम रीति-रिवाज के द्वारा
दिनांक-           को स्थान-      पर संपन्न हुई थी। निकाहनामा जनाब  मौलाना       के द्वारा कूबूल करवाया गया था।
गवाह -      के मौजूदगी में।
शादी के बाद श्रीमती       मेरे साथ बतौर पत्नी रही,इस दौरान श्रीमती     को कोई संतान पैदा नहीं
हुई।साथ रहने के दौरान श्रीमती     और मेरे परिवार के सदस्यों के बीच अक्सर
कहासुनी और मारपीट की नौबत होने लगी,मुख्यत: मेरे बड़े भाई और मेरी बड़ी बहन के साथ,कारण      खुले विचारों वाली है और मेरे परिवार को
उनका यह व्यवहार पसंद नहीं था। यही वज़ह होती थी हमेशा झगड़े की। शादी के तीन
महीने बाद ही मैं परिस्थितियों से अजीज आकर और       के कहने पर परिवार से
अलग रहने पर मजबूर हो गया।अलग रहने से भी स्थितियां बदली नहीं,बल्कि और बिगड़ गई।अंत में घर छोड़ने की नौबत आ गई।यह
निर्णय भी       के कहने पर ही लेना पड़ा मुझे। और इस क्रम में श्रीमती   दिनांक      को अपनी मां एवम् भाईयों को बुलाकर मेरे घरवालों से काफ़ी
लड़ाई झगड़ा व मारपीट करने के बाद सभी लोगों के उपस्थिति में मेरे घर से अपना सभी
सामान मय गृहस्थी टेंपों में लदवा कर, हमको भी साथ में लेकर तेलियाबाग स्थित किराये के मकान में
चली गई।उक्त किराये
के मकान में        ने अपने परिवार के सभी सदस्यों को साथ रहने के लिए बुला
लिया।इस वज़ह से उक्त किराये वाले मकान में       के द्वारा तमाम रिश्तेदारों
एवं उनके दोस्तों को बुलाया जाने लगा। श्रीमती        ने हमको बताया कि वो एक
मसाज पार्लर में नौकरी के लिए जायेंगी। नौकरी पर जाते हुए               कभी कभार देर
रात लौटती या फिर कभी कभी रात में आती भी नहीं थी।  एक महीने में किरायेवाले मकान में रहते हुए
मैंने यह भी देखा कि       कुछेक लोगों से फ़ोन पर बातें करने के तुरंत
बाद  बाहर निकल जाती थी,और देर रात लौटती थी।
कई बार कुछ अंजान लोगों के द्वारा कुछ पैसे भी पेटीएम या
गूगल पे के द्वारा उनको भेजे जाते थे, जिन्हें मैं नहीं जानता था कि कौन है।पूछने पर मुझे        और उनके परिवार के सदस्यों द्वारा बेरहमी से पीट दिया जाता था।इसी क्रम में
मेरे द्वारा इस वाबत पूछने पर एक दिन दिनांक       को      ने अपने मां,बहन एवं भाईयों के साथ मिलकर मुझे बुरी तरह मारा पीटा,और उस किराये वाले मकान से मुझे धक्का दे कर दिनांक       को निकाल दिया।
इस घटना को देखते हुए मकान मालिक ने तत्काल प्रभाव से दिनांक   ,शाम को ही      एवं उनके परिवार के सदस्यों को निकाल बाहर कर दिया था।     उस
मकान को खाली करते हुए मय गृहस्थी अपने मायके में रहने लगी।तब से वही रह रही है।उस वक्त से और आज दिन तक मेरे चाहने के बावजूद भी      से कोई बात नहीं हो पाई,और ना ही कभी मिली।    ने अपने सारे कांटेक्ट नंबर
बदल दिया है । मेरे परिवार एवं समाज के दूसरे लोगों के द्वारा तमाम प्रयास किया
गया,
उनके घर पर जाकर साथ रहने की बात की गई,तो उनके मां एवम् भाईयों के द्वारा अभद्रता पूर्ण व्यवहार
किया गया एवं साथ रहने से साफ इंकार कर दिया गया। 
आज़ आठ-नौ महीने से अनेकों बार हर तरह से प्रयास करने के बाद भी       ने साथ रहने से साफ इंकार कर दिया। फिर भी बिरादरी के लोगों ने     एवं
उनके परिवार को एक बार बैठ कर बात करने का आग्रह किया गया,और दिनांक         में सुलह समझौते या फिर अपनी बात रखने के
लिए बुलाया 
गया था,सभी लोग निर्धारित समय पर उपस्थित हुए,
परंतु देर शाम तक     नहीं आई,ना ही उनके परिवार से ही कोई आया।
इसलिए आज़ दिनांक     में बिरादरी एवं रिश्तेदारों के
उपस्थिति में, मैं        शरीयत के अनुसार ,पूर्ण होशो-हवास में श्रीमती           को अपने निकाह से
तलाक़ देता हूं।
आज़ से इद्दत समय सीमा शुरू होता है,इद्दत समय सीमा के बीच में यदि       और मेरे बीच कोई
संबंध या समझौता नहीं हो पाता है,या फिर इद्दत समय बीत जाता है तो हम पति-पत्नी का रिश्ता
खत्म माना जाएगा,और हम दोनों एक-दूसरे की जिंदगी में कोई भी या कभी भी एक
दूसरे से शिकायत करने का हक़ खत्म माना जायेगा।
                            हस्ताक्षर
 
नोट-1-इस तलाक़ नामा
की एक प्रति श्रीमती        को दिया गया है।
2-इस तलाक़ नामा की दूसरी प्रति स्थानीय    मुस्लिम कमेटी को
सूचनार्थ प्रेषित किया गया है। ताकि सनद रहे व वक्त पर काम आवे।
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