प्र. समाजशास्त्र की वैज्ञानिक प्रकृति पर आपत्तियों का उल्लेख कीजिए।
समाज विज्ञान की प्रयोगशाला सारा मानव समाज है जहां तत्वों का उसके स्वभाविक रूप में अध्ययन किया जा सकता है।
1. वैज्ञानिक तटस्थता का अभाव
समाजशास्त्र की वैज्ञानिक प्रगति के संदर्भ में यह आपत्ति है कि इसका अध्ययन प्राकृतिक विज्ञानों की तरह तटस्थता से नहीं किया जा सकता।
समाजशास्त्री विद्वानों के अनुसार,
*इसकी अध्ययन सामग्री जटिल सामाजिक तथ्य है जिसका तटस्थता से अध्ययन करना कठिन होता है।
* सामाजिक घटनाएं निरंतर परिवर्तनशील होती है।
* अध्ययन करता स्वयं एक सामाजिक प्राणी है अतः उसमें सामाजिक तत्वों के प्रति पूर्वधारणा एवं आदर्श होना संभावित है।
उपयुक्त कारण एक अनुसंधानकर्ता के पक्षपात रहित अध्ययन में बाधा उत्पन्न करते हैं।
2. सामाजिक घटनाओं का ठीक से मापन नहीं:
प्राकृतिक विद्वानों की समाजशास्त्र के पास सामाजिक तत्व एवं संबंधों को मापने के लिए कोई प्रमाणिक सावधानिया मापन यंत्र नहीं है जिसका निष्कर्ष प्रमाणित रूप से प्राप्त नहीं हो पाता।
3. प्रयोगशाला पद्धति का प्रयोग नहीं:
किसी विज्ञान के लिए प्रयोगशाला एक आवश्यक अंग होता है। समाजशास्त्र के पास प्राकृतिक विज्ञान की भांति प्रयोगशाला नहीं होती है। क्योंकि मानव समाज में न तो परिस्थितियां नियंत्रित की जा सकती हैं न ही मानव एवं उनके संबंधों पर कोई प्रयोग कर वास्तविक निष्कर्ष निकाला जाता है।
महान वैज्ञानिक न्यूटन आईटीआई मारकोनी राइट ब्रदर्स गैलीलियो आदि ने अपने महान सिद्धांतों का निर्माण चित्र में प्रयोगशाला में न करके प्रकृति की प्रयोगशाला में किया था।
4. निश्चित भविष्यवाणी करने में असमर्थ:
समाजशास्त्र के नियम यथार्थ और सार्वभौमिक नहीं होते हैं क्योंकि सामाजिक घटनाएं अत्यधिक शीघ्रता से नियंत्रित परिवर्तित होती रहती है।
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